‘Aapni Pathsala’, a school for imparting non-formal education especially to slum kids at Churu, had its modest beginning on 1st January 2016. It runs under the aegis of ‘Aapni Pathshala Sansthan, Churu which is registered under the Rajasthan Societies Registration Act 1958. ( Registration Number 73/ Churu/ 2017-18.
आपणी पाठशाला चूरू (घुमंतू , बालश्रम में धकेले, भिक्षावृत्ति में लिप्त झुग्गी- झौंपड़ियों व कच्ची बस्ती के शिक्षा से वंचित बच्चों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर उनको शिक्षा से जोड़ने का मिशन है) जिसमें वर्तमान समय में भी ऐसे 300 बच्चों को अनौपचारिक रूप से शिक्षा से जोड़े हुए है। जिन्हे केवल जन सहयोग से ही रोज भोजन स्टेश्नरी,ड्रेस,बैग, शिक्षक गणों की टीम का मानदेय, दूर दूर छितरी झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चों के आवागमन के लिए 2 वैन इत्यादि समस्त सुविधाएं पिछले साढे 7 साल से निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है।
आपणी पाठशाला का संचालन करते हुए घुमंतु अर्ध घुमंतु ,भिक्षावृत्ति एवं बालश्रम में लिप्त झुग्गी झौपड़ियों व कच्ची बस्तियों में रहने वाले राजस्थान व अन्य पड़ौसी राज्यों मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, बिहार आदि के वंचित बच्चों को इन बालापराधों से दूर करते हुए शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं। और अब तक करीब 600 से अधिक ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा चुका है जिनके लिए शिक्षा एक सपना था।
वर्तमान समय में कच्चे झोपड़ों में ही यह पाठशाला संचालित है ।
इन घुमंतू परिवारों के बच्चों को ओर बेहतर ढंग से पढ़ाने के लिए झुग्गियों के माहौल से बाहर निकाल कर बेहतर पक्के शिक्षामय माहौल में लाने के लिए होस्टल सहित पाठशाला के लिए पक्का भवन निर्माण किया जाना लक्ष्य है इन बच्चों के अभिभावक आजिविका के लिए घुमंतू जीवन जीते हैं और भीख मांगने या मजदूरी की तलाश में कयी कयी महिनों अपने बच्चों को साथ ले जाते हैं जिस कारण इनका लगातार शिक्षा से जुड़ाव हो नहीं पाता इस कारण संस्था का प्रयास है ऐसे बच्चों के लिए आवासीय पाठशाला बनाकर उन्हें होस्टल सुविधा उपलब्ध करवाकर लगातार शिक्षा से जोड़े रख उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करते रहे ताकि ये देश के मज़बूत नागरिक बन सकें !
संसाधनों के अभाव में भी जनसहयोग से वर्तमान में 300 ऐसे बच्चों को झौपड़ियों में ही पढाकर शिक्षित करने का प्रयास बनाऐ हुए हैं। शिक्षा के साथ साथ इन बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए जनसहभागिता से ही रोज भोजन का भी प्रबंध किया जा रहा है। हर महीने संस्था 1 लाख भोजन पर ,50000/- आवागमन के लिए यातायात व्यवस्था पर और 1 लाख से अधिक शिक्षक एवं प्रबंधन पर खर्च होते हैं स्टेशनरी ड्रेस इत्यादि मिलाकर कुल 3 लाख खर्च कर रही है और ये समस्त राशि जनसहयोग से ही जुटाकर व्यय की जा रही है ।
इन बच्चों के झौपड़ियों के नजदीक 2 किलोमीटर एरिया में कोई सरकारी स्कूल भी नहीं है और यदि दूर स्कूलें हैं भी तो आवासीय व्यवस्था नहीं है इस कारण मिल-जुलकर आवासीय माहौल देनें के प्रयास जारी हैं ताकि इन बच्चों को होस्टल में छोड़कर इनके माता-पिता मज़दूरी के लिए कहीं दूर जायें तो बच्चों की पढ़ाई बीच में न छूटे ।
लक्ष्य…
आवासीय पाठशाला बनाने के बाद उन तमाम कार्यकर्ताओं को साथ लाने का प्रयास होगा जो आपणी पाठशाला की तरह काम कर रहे हैं और ऐसे सेवाभावी युवाओं की टीम बनाकर अधिकतम ऐसे हज़ारों घुमंतू ,बालश्रम में धकेले, भिक्षावृत्ति में लिप्त, झुग्गी- झौंपड़ियों व कच्ची बस्ती के शिक्षा से वंचित बच्चों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कर उनको शिक्षा से जोड़ उन्नत भविष्य की ओर अग्रसर करनें का मिशन तमाम शहरों व क़स्बों में शुरू होगा! और साथ में इन बच्चों व इनके परिवारों को तमाम सरकारी सुविधाएँ भी उपलब्ध करनाने का प्रयास आपणी पाठशाला का रहेगा! साथ ही निर्धन परिवार की बेटियों की शादी मे,गंभीर बीमारियों से पीड़ित बेहद निर्धन परिवारों के मरीज़ों के ईलाज में हरसंभव मदद करना एवं पर्यावरण और अधिकतम बेरोज़गारों को स्वरोज़गार हेतु प्रयास किये जायेंगे!